चौथ का बरवाड़ा का प्रसिद्ध चौथ माता का मंदिर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चौथ माता देवी पार्वती का ही एक रूप है । देश में चौथ माता का सबसे पुराना मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा शहर में है यहां दूर-दूर से लोग माता के दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर चौथ का बरवाड़ा कस्बे में सवाई माधोपुर जिले से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है की चौथ माता के इस मंदिर की स्थापना साल 1451 में यहां के राजा भीम सिंह ने की थी। यह मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरों से तैयार किया गया है। यह मंदिर करीब 1100 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी दिखाई पड़ती हैं। मंदिर परिसर में कई सौ साल से एक अखंड ज्योति भी जल रही है ।

प्राचीन कथन अनुसार चौरू जंगलों में एक भयानक अग्निपुंज का प्राकट्य हुआ जिससे दारूद भैरव का विनाश हुआ था। इस प्रतिमा के चमत्कारों को देखकर जंगल के आदिवासियों ने अपने कुल के आधार पर चौर माता के नाम से इसकी पूजा करी। बाद में चौर माता चौरू माता और आगे चलकर यही नाम अपभ्रंश होकर चौथ माता हो गया। कुछ वर्षों बाद चौथ माता की प्रतिमा चौरू के विकेट जंगलों में अचानक विलुप्त हो गई जिसका कारण कोई नहीं जानता।

इसके कुछ वर्षों बाद यही प्रतिमा बरवाड़ा क्षेत्र की पचाला तलहटी में महाराज भीम सिंह चौहान को स्वप्न में दिखने लगी। एक बार महाराज भीम सिंह चौहान को रात में स्वप्न आया की शिकार खेलने की परंपरा को मैं भूलता जा रहा हूं। इसी स्वप्न की वजह से महाराज भीम सिंह चौहान ने शिकार खेलने जाने का निश्चय किया। राजा भीम सिंह चौहान की रानी रत्नावली ने उन्हें शिकार पर नहीं जाने के लिए बहुत कहा मगर भीम सिंह ने यह कहकर बात को टाल दिया की चौहान एक बार सवार होने के बाद शिकार करके ही नीचे उतरते हैं। फिर राजा भीम सिंह चौहान अपने सैनिकों के साथ घनघोर जंगलों की तरफ कूच कर गए।

महाराजा भीम सिंह चौहान की नजर एक मृग पर पड़ी और वे उसका पीछा करने लगे। रात होने के कारण सभी सैनिक आपस में एक दूसरे से भटक गए भीम सिंह चौहान ने चारों तरफ नजरे दौड़ाई तो अपने आप को अकेले पाया। फिर उन्हें प्यास लगी तो वह पानी का स्त्रोत खोजने लगे। भयंकर व्यास के कारण राजा मूर्छित होकर जंगलों में ही गिर पड़े। उन्हें स्वप्न में पचाला तलहटी में वही प्रतिमा दिखाई देने लगी। तभी भारी बारिश हुई और बारिश के कारण राजा की मूर्छा टूटी।

राजा ने पहले पानी पिया और देखा कि एक बालिका अंधकार में स्वयं सूर्य जैसी प्रकाश में उज्जवल बाल रूप में खेलती नजर आ रही है। राजा के पूछने पर नन्ही बालिका हंसने लगी और बोली की है राजन पहले तुम यह बताओ कि क्या तुम्हारी प्यास बुझी या नहीं। इतना कहने के बाद मां भगवती अपने असली रूप में आ गई। राजा मां के चरणों में गिर पड़ा और विनती की की आप हमेशा हमारे क्षेत्र में निवास करें। राजा को यह आशीर्वाद देकर माता अंतर ध्यान हो गई,जहां पर माता लुप्त हुई वहां से राजा को चौथ माता की प्रतिमा मिली। इस प्रतिमा को लेकर राजा बरवाड़ा की ओर चल दिया।

उसी प्रतिमा को राजा ने बरवाड़ा में पहाड़ की चोटी पर माघ कृष्ण चतुर्थी को विधि विधान से स्थापित किया। चौथ माता राजस्थान के बूंदी राजघराने की कुलदेवी भी है। साल 2021 में बॉलीवुड कपल विकी कौशल और कैटरीना कैफ सवाई माधोपुर के ही चौथ के बरवाड़ा में शादी के बंधन में बंधे थे यही उनकी शादी की रस्में भी हुई थी। हर शुभ काम से पहले आसपास के गांव में रहने वाले लोग सबसे पहले चौथ माता के मंदिर में जाकर उन्हें निमंत्रण देते हैं। नव विवाहित दुल्हन अखंड सौभाग्यवती होने के साथ-साथ अपने पति की रक्षा की प्रार्थना भी करती है। इस मंदिर से जुड़ी मानता है की शादी की रस्में चौथ माता के दर्शन के बाद ही पूरी मानी जाती है। करवा चौथ के मौके पर एवं नवरात्रि के समय भी यहां खास मेला लगता है। इसके अलावा माघ चतुर्थी एवं भाद्रपद चतुर्थी पर भी लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

References

Wikipedia

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *