Vaishakh mahine ki kahani (Vaishakh maas ki katha)

राजा का वैशाख मास में प्रति दिन गंगा स्नान

एक राजा था। वह वैशाख मास में प्रतिदिन, ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजी में स्नान करता था। राजा का आदेश था कि, राजा से पहले गंगा जी में कोई भी स्नान नहीं करेगा। आदेश के बावजूद जब भी राजा गंगाजी में स्नान करने जाते, तो उन्हें रोज़ शांत जल की जगह, हिलता हुआ जल दिखाई देता।  राजा को संदेह होता कि, प्रतिदिन उससे पहले निश्चय ही कोई और स्नान करके जाता है।  इसलिए राजा ने नदी के तट पर पहरेदार को तैनात कर दिया। 

गंगा जी के तट पर ही एक वृक्ष था । उस वृक्ष पर एक बंदरिया रहती थी । वही रोज़ राजा के स्नान करने से पहले ही, गंगाजी में स्नान करके, वापस वृक्ष पर चढ़कर बैठ जाती थी । इस तरह पूरा वैशाख मास निकल गया । लेकिन आखिरी दिन राजा के पहरेदार ने यह देख लिया। वह बंदरिया को पकड़कर राजा के पास ले गया । राजा ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि, अगर कोई स्त्री मुझ से पूर्व गंगाजी में स्नान करेगी, तो मैं उससे विवाह करूँगा । इसलिए राजा को बंदरिया से विवाह करना पड़ा । 

बंदरिया के पुत्र जन्म

थोड़े दिन बाद वैशाख मास में गंगा जी में स्नान करने के कारण, बंदरिया गर्भवती हो गई । नौ महीने पूर्ण होने पर, बन्दरिया ने राजा से पूछा कि – शिशु जन्म के समय मुझे क्या करना चाहिए ? तब राजा ने महल में एक घंटी लगवा दी। और बंदरिया से बोला की – जब भी तुम्हें दर्द हो तो इसे बजा देना। मैं सारा प्रबंध कर दूंगा। उस राजा के अन्य रानियाँ भी थी। लेकिन अन्य रनियों के कोई संतान नहीं थी। अतः यह समाचार सुनकर अन्य रानियों के मन में ईर्ष्या पैदा हुई।

राजा की अन्य रानियों की बंदरिया के प्रति ईर्षा

अन्य रानियाँ बंदरिया की सन्तान का नाश करने की योजना बनाने लगी। घंटी लगी देखकर एक रानी ने बंदरिया से इसका कारण पूछा। बंदरिया ने सारी बात बता दी। रानी ने उसे बहकाया, कि एक बार घंटी बजाकर देख तो लो, राजा आते भी है या नहीं। बंदरिया ने घंटी बजाई, तो राजा दौड़ें दौड़ें महल में आए। बंदरिया ने कहा कि, मैंने तो रानियों की कहने पर घंटी बजाई थी। तब रानियों ने राजा से कहा की यह तो पशु है। न जाने कितनी बार घंटी बजाएगी। ऐसा कहकर उन्होंने महल से घंटी हटवा दी। थोड़े दिनों बाद बंदरिया के शिशु जन्म का समय आया तो, उसने अन्य रानियों से पूछा की अब मैं क्या करूँ? रानियों ने उससे कहा कि तुम आँखों पर पट्टी बांधकर चुपचाप सो जाओ। बंदरिया के वैशाख मास के स्नान के पुण्य से, एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र के जन्म होते ही उसके रोने से पहले रानियों ने उस शिशु को एक टोकरी में रख कर दासी को दे दिया। और आदेश दिया कि इसे नदी में बहा दो । उसके बाद शिशु के स्नान पर एक पत्थर रख दिया गया। राजा को भी यही जानकारी दी गई। कि बंदरिया ने एक पत्थर को जन्म दिया है। राजा ने यह बात सुनी। उसने भी इस बात को मान लिया कि ,जब दूसरी रानियों की संतान नहीं है ,तो इस बंदरिया कैसे संतान हो सकती है?

कुम्हार द्वारा बंदरिया के पुत्र का पालन पोषण

उधर दासी ने उस सुंदर शिशु को, नदी में न बहाकर, कुमार के चाक में रख दिया। दूसरे दिन कुम्हार – कुम्हारिन अपने चाक पर आए। वहाँ एक सुंदर शिशु को देखा। उनके भी कोई संतान नहीं थी। अतः उन्होंने उस शिशु को अपने लिए भेजी हुई भगवान की भेंट मानकर, उसका पालन पोषण करना शुरू कर दिया।

बंदरिया के पुत्र को अपने जन्म का रहस्य पता लगना

बालक कुछ बड़ा हुआ। एक दिन उसने महल की दासी को किसी से बात करते हुए सुना। दासी की बात सुनकर बालक को यह समझ आ गया, कि वह बंदरिया का पुत्र है। जिसको रानियों ने मरवाना चाहा था। एक दिन वह बालक कुम्हार के बनाए हुए, मिट्टी के हाथी घोड़े लेकर, नदी किनारे जा बैठा। थोड़ी देर में वहाँ महल की दासियाँ आई। दासियों को देखकर वह कहने लगा कि, आओ मेरे मिट्टी के हाथी घोड़ों पानी पियो। जब दासियों ने यह बात सुनी तो वो हंसने लगी। और बोलीं कि – अरे मुर्ख कभी मिट्टी के हाथी घोड़े भी पानी पीते हैं क्या? इस पर बालक ने कहा कि क्यों नहीं? जब बंदरिया के पत्थर जन्म ले सकता है, तो मिट्टी के हाथी घोड़े भी पानी पी सकते हैं। दासियों ने यह समाचार जाकर अन्य रनियों को दिया। रनियों को कुछ शक हुआ। और उन्होने राजा से कहकर कुमार को देश निकाला दिलवा दिया।

बंदरिया के पुत्र का साहूकार की बेटियों से विवाह

अब कुम्हार वन में जाकर रहने लगा। थोड़े दिनों बाद चैत्र मास में गणगौर के पूजन का दिन आया। बंदरिया का पुत्र घड़े में पानी भरकर बगीचे के बाहर बैठ गया। थोड़ी देर में वहाँ पर साहूकार की पुत्रियां गणगौर बनाने के लिये मिट्टी लेने के लिए आयी। वे लड़कियां बगीचे में खेलने और झूला झूलने लगी। थोड़ी देर बाद उन्हें प्यास लगी। तब उन्होंने उस बंदरीय के पुत्र से पानी पिलाने के लिए कहा। उस लड़के ने उत्तर दिया कि, मेरे चारों ओर फेरे लगाती जाओ। तब मैं तुम्हें जल पिलाऊंगा। पहले तो उन लड़कियों ने मना किया, लेकिन क्योंकि उन्हें प्यास बहुत तेज लग रही थी, इसलिए वे मान गईं। वे उसके चारों ओर फेरे लगाने लगी। फेरे देने के कारण सारी लड़कियां उसके साथ ब्याह गई।

फिर वो अपने घर आ गई। घर आकर उन्होंने अपने माता पिता को सारी बात बताई। माता पिता यह बात सुनकर उन्हें लेकर राजा के पास गए। राजा के राजपुरोहित ने कहा कि उस लड़के के चारों तरफ फेरे लेने के कारण, ये सभी लड़कियां उसके साथ ब्याह गई है। तब राजा उन लड़कियों के माँ बाप के साथ कुम्हार के घर गया। वहाँ जाकर साहूकार कुम्हार के पिता से बोला की , हमारी लड़कियां तेरे बेटे के साथ फेरे खा चुकी है । इसलिए उनकी शादी तेरे लड़के के साथ करनी पड़ेगी। कुम्हार बोला – मेरा बेटा इतनी पत्नियों को कैसे संभालेगा ? लड़के से पूछा था तो लड़का बोला – फिक्र मत करो , मैं सब संभाल लूँगा। लड़कियों के माता पिता ने धन दहेज देकर सभी बेटियों को विदा किया ।

अन्य रानियों को देश निकाला और बंदरिया के पुत्र, पोतों को राजपाट

आगे चलकर हर लड़की के एक पुत्र पैदा हुआ । एक दिन बंदरिया के पुत्र ने सभी को कहा – चलो राजा के यहाँ चलते हैं । पत्नियों को तैयार करके उसने राजा को समाचार भिजवाया। हम सब आपसे मिलने आ रहे हैं । सभी राजा के यहाँ राजमहल पहुंचे । कुम्हार के लड़के ने पहले ही सब पत्नियों को कह रखा था कि, वहाँ एक बंदरिया बैठी मिलेंगी । सभी को उसके पैर लगना है । सभी लड़कियों ने कुम्हार के बेटे के कहे अनुसार किया । लेकिन वे दूसरे रानियों के पैर नहीं लगी । दूसरी रनियों को क्रोध आया । वे बोली की यह सब बंदरिया के तो पैर लगी, लेकिन हमारे नहीं लगी । कुम्हार के बेटे को बुलाया गया। और उससे इसका कारण पूछा गया। वो बोला की देखो राजा जी, मैं इस बंदरिया का ही बेटा हूँ । मेरे पैदा होते ही इन दूसरी रानियों के कहने से, दासी ने मुझे कुम्हार के चाक में छोड़ दिया था । दासी को बुलाया गया, तो उसने भी यह बात कबूल की । यह बात जानकर राजा ने सभी रानियों को देश निकाला दे दिया । फिर उसने बंदरिया के बेटे और पत्नियों को राजमहल में ही रख लिया । सभी लड़कियां वैशाख में स्नान करती थी, इसलिए उनके बेटे, पोते हुए और उन्हें राजपाट मिला । 

बंदरिया और उसकी बहुएँ बैशाख मास में गंगा स्नान करती थी। इसीलिए उन्हे राजपाट मिला।

कहानी से सीख

  • वैशाख मास में गंगा स्नान से बहुत पुण्य मिलता है।
  • ईर्ष्या कृत कर्मो का परिणाम, अंततः बुरा ही होता है। (सभी अन्य रानियों को देश निकाला मिला)
  • बिना किसी बात को जाँचे परखे उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। राजा ने बिना सोचे समझे इस बात पर विश्वास कर लिया की ,बंदरिया ने पत्थर को जन्म दिया है। ईस कारण उसे बहुत वर्षों तक अपने पुत्र से दूर रहना पड़ा।

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