Vaishakh maas ki kahani (Vaishakh mahine ki katha)

Hindi

एक पति पत्नी थी । लकड़ी बेचकर अपना पेट भरते थे । वैशाख का महीना आया । सब लोग वैशाख स्नान करने लगे तो पत्नी भी वैशाख नहाने लगीं । पति रोज लकड़ियों का गट्ठर लाता। पत्नी उसमें से एक लकड़ी निकाल लेती । वैशाख नहाकर आती , आंवले और पीपल के पेड़ को सींचती। ऐसा करते एक महीना बीत गया ।

वैशाख स्नान करने से साधारण लकड़ियों का चन्दन मे बदलना

पत्नी नहा धोकर बचाई हुई लकड़ियों का गट्ठर बनाकर बेचने निकली । भगवान का नाम लिया । तो सभी लकड़ियां चंदन की हो गई ।  राजमहल से होकर गुजरी तो राजा को चंदन की खुशबू आई । राजा ने पूछा कि लकड़ियों का क्या दाम लेगी ? वह बोली जितना आप चाहे दें, पर मुझे पांच ब्राह्मणो को खाना खिलना है। उनको खाना खिला सकूँ इतना सामान दे दीजिये ।  राजा ने नौकरों के साथ पांच ब्राह्मण को खाना खिलाने जितना सामान उसके घर भेज दिया ।

स्त्री द्वारा ब्राह्मण भोज

स्त्री ने दाल, बाटी, चूरमा ब्राह्मणों को खिलाया और दक्षिणा दी। फिर ब्राह्मणों ने स्त्री को आशीर्वाद लिया ।  पति को लकड़ियाँ बेचकर घर आने में थोड़ी देर हो गई । इधर ब्राह्मणों व भगवान के आशीर्वाद से पति पत्नी की झोंपड़ी महल में बदल गई । रसोई में कई तरह के पकवान तैयार हो गए ।  पति लकड़ी बेचकर आया तो उसे अपनी झोपड़ी दिखाई नहीं दी । उसने अपनी पड़ोसन से पूछा ।  पड़ोसन बोली – तुम तो लकड़ियां बेचते रहते हो और तुम्हारी पत्नी स्नान ध्यान, पाठ पूजा करती है, ब्राह्मणों को खाना खिलाती है। बाकी सब तुम जानो ।  इतने में उसकी पत्नी बाहर आ गई । वह पति से बोली की यह अपना ही घर है ।

वैशाख स्नान की महिमा

पति को गुस्सा आ गया । वह बोला कि – तूने चोरी कि या डाका डाला, जो अचानक इतना धन आ गया ।  वह बोली कि – मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है । मैंने वैशाख स्नान किया। बड़ एवं पीपल के पेड़ को सींचा। और उसी का फल भगवान ने मुझे दिया है । रोज़ आपकी लकड़ियों के गट्ठर में से एक लकड़ी निकाल लेती थी । वो ही लकड़ियां भगवान की कृपा से चंदन की हो गयी । जब बेचने गई तो राजा ने गट्ठर मांगा । मैंने राजा से सूखा सामान मांगा। जिससे ब्राह्मणों को खाना खिलाया व दक्षिणा दी । ब्राह्मणों ने आशीर्वाद दिया । उसका फल भगवान ने हमें दिया । तब पति को तसल्ली हुई । दोनों पति पत्नी ने साथ भोजन किया ।और महल में रहने लगे । हे भगवान ,जैसे उन पति पत्नी के भंडार भरे, वैसे सबके भरना । 

कहानी से सीख

  • वैशाख मास में स्नान, ध्यान करने से पुण्य मिलता है।
  • जीवन में यथा शक्ति, चोटी-चोटी बचत जरूर करनी चाहिए। वह कभी भी बड़े मुनाफे में बादल सकती है।
  • जीवन में दान, धर्म का बड़ा महत्व है

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