इस दिन विध्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इस पूजा का पूर्वी भारत में ज्यादा प्रचलन है । इस दिन पीले वस्त्र धरण करते हैं एवम पीले चावल खाये जाते हैं । इस दिन को सरस्वती पूजा भी कहा जाता है ।
बसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है ।
बसंत पंचमी कथा
सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी ने सभी जीवो एवं मनुष्यों की रचना की परंतु वे अपनी रचना से संतुष्ट न थे क्योंकि सब और मौन छाया रहता था । तब इस समस्या के समाधान के लिए ब्रह्मा जी ने श्री हरि विष्णु की स्तुति करनी आरंभ की । ब्रह्मा जी की स्तुति सुनकर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके पास आए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने दुर्गा माता का आह्वान किया । ब्रह्मा जी एवं विष्णु जी ने दुर्गा माता से इस समस्या का निवारण करने का निवेदन किया । उनकी बात सुनने के बाद मां दुर्गा के शरीर से श्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक नारी के रूप में बदल गया । यही देवी सरस्वती का प्राकट्य था । उनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में वर मुद्रा थी । अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी । उस देवी ने उत्पन्न होते ही वीणा का मधुर नाद किया जिससे संसार के समस्त जीवों को वाणी प्राप्त हो गई । इसके बाद मां दुर्गा ने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई ये देवी सरस्वती आपकी पत्नी बनेगी । ऐसा कहकर मां दुर्गा अंतर्ध्यान हो गई ।
बसंत पंचमी की पूजा
बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर के उनकी पूजा की जाती है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा पीले वस्त्र पहन कर करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है । माँ सरस्वती को पीले रंग की चीजों का भोग लगाना चाहिए । माँ सरस्वती के मंत्रों का जाप करें एवम सरस्वती वंदना करें । सरस्वती माता का बीज मंत्र है “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः “
बसंत पंचमी का महत्व
इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं । शादी विवाह के लिए भी इस दिन को सर्वश्रेष्ट माना जाता है । इस दिन सरस्वती पूजन और व्रत करने से वाणी मधुर होती है, स्मरण शक्ति तीव्र होती है, प्राणियों को सौभाग्य प्राप्त होता है, विद्या में कुशलता प्राप्त होती है। दीर्घायु एवं निरोगता प्राप्त होती है।
माँ सरस्वती की महिमा
माँ सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। कहते हैं जिनकी जिव्हा पर सरस्वती देवी का वास होता है, वे अत्यंत ही विद्वान् व कुशाग्र बुद्धि होते हैं। संगीत में प्रवीण गायकों पर भी माँ सरस्वती की असीम कृपा होती है ।