Mokshda Ekadashi Vrat Katha | Mokshda Ekadashi ki Kahani

मोक्षदा एकादशी की कथा

मोक्षदा एकादशी की कथा

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जो मोक्ष प्रदान करती है

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युधिष्ठिर और श्रीकृष्ण का संवाद

एक बार युधिष्ठिर जी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में कौन सी एकादशी आती है।

भगवान श्रीकृष्ण बोले कि, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में, मोक्षा नाम की एकादशी आती है। जिसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

  • इस दिन तुलसी की मंजरी तथा धूप दीप आदि से, भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए।
  • इस विधि से दशमी और एकादशी के नियम का पालन करना उचित है।
  • यह एकादशी बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है।
  • इस दिन रात्रि में भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए, नृत्य, गीत और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।

इसके द्वारा पितर भी, अगर पाप वश यदि नीच योनि में पढ़े हों, तो वे भी इसके पुण्य दान करने से, मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं।

राजा वैखानस की कथा

पूर्वकाल में चम्पक नगर में वैखानस नामक राजा रहते थे। वे अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन करते थे।

एक बार रात को राजा ने स्वप्न में अपने पितरों को नीच योनि में पड़ा हुआ देखा। इस बारे में सोचकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। और सुबह उन्होंने ब्राह्मणों से इस बारे में विमर्श किया।

“मैंने अपने पितरों को नरक में देखा है। वे मुझसे बोले की तुम हमारे तनुज हो, इसलिए इस नरक समुद्र से, हम लोगो का उद्धार करो। उन्हें इस रूप में देखकर मुझे चैन नहीं आ रहा है। मैं क्या करूँ?”

– राजा वैखानस

ब्राह्मण बोले कि हे राजन, यहाँ से निकट ही पर्वत मुनि का आश्रम है। वे त्रिकालदर्शी है। आप उनके पास जाकर अपनी समस्या का समाधान पूछें।

राजा पर्वत मुनि के आश्रम में गए, और उन्हें प्रणाम किया। फिर राजा ने पर्वत मुनि को अपने स्वप्न के बारे में बताया, और उनसे इसका उपाय पूछा।

“हे राजन, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में, मोक्षदा एकादशी आती है। तुम सब लोग उसका व्रत करो। और उसका पुण्य अपने पितरों को अर्पित कर दो। उस पुण्य के प्रभाव से, उनका नरक से उद्धार हो जाएगा।”

– पर्वत मुनि

व्रत का परिणाम

मुनि की बात सुनकर राजा वापस लौट आए। उन्होंने मुनी के आदेशानुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। और उसका पुण्य अपने पितरों को अर्पित कर दिया।

पुण्य अर्पित करते ही, आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। और राजा के पिता सहित सभी पितरों को नरक से छुटकारा मिल गया।

और फिर आकाश में जाकर उन्होने राजा को आशीर्वाद दिया। फिर वे सभी स्वर्ग लोग को चले गए।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

इस प्रकार जो भी मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। और मरने के बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

यह एकादशी व्रत चिंतामणी के सामान सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

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