पापांकुशा एकादशी
का माहात्म्य
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा युधिष्ठिर को बताई गई कथा
युधिष्ठिर का प्रश्न
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पुछा की, अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में कौन सी एकादशी आती है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले, की इस एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। यह सब पापों को हरने वाली है।
पूजन का महत्व
इस दिन सभी को भगवान वासुदेव का पूजन करना चाहिए। ऋषि मुनि चिरकाल तक, कठोर तपस्या करके, जिंस उत्तम फल को प्राप्त करते हैं, वह ही फल इस दिन भगवान विष्णु को प्रणाम करने से मिल जाता है।
पृथ्वी पर जितने भी तीर्थ और देवालय हैं, उन सबकी सेवा का फल, सिर्फ एक भगवान विष्णु के नाम कीर्तन करने मात्र से मनुष्य प्राप्त कर लेता है।
विशेष तथ्य
पापांकुशा एकादशी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आती है। यह एकादशी सभी पापों को नष्ट करने की शक्ति रखती है।
एकादशी के लाभ
भगवान विष्णु की शरण में जो लोग जाते हैं, उन्हें यमलोक की यातना नहीं भोगनी पड़ती। यदि किसी और कार्यसिद्धि के लिए भी, मनुष्य एकादशी का उपवास करता है, तब भी उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती।
इस एकादशी का व्रत करने से उत्तम स्वास्थ्य, परिवार एवं धन की प्राप्ति होती है। इस दिन उपवास करें और रात्रि में जागरण करें।
पीढ़ियों का उद्धार
जो मनुष्य पापांकुशा एकादशी का व्रत करता है, वह अपनी 10 पीढ़ियों का उद्धार कर देता है।
दान का महत्व
इस दिन जो मनुष्य स्वर्ण, तेल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता।
मोक्ष प्राप्ति
पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से, मनुष्य श्री हरि भगवान विष्णु के लोक में स्थान पाता है। जो लोग होम, स्नान, जप, ध्यान, और यज्ञादि पुण्य कर्म करते हैं, उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती।
मनुष्यों को चाहिए की अपनी अपनी आर्थिक शक्ति के अनुसार, धर्म कर्म करे, और अपने जीवन को सफल बनाए।
इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने पापांकुशा एकादशी के माहात्म्य का वर्णन किया।
व्रत का समय
पापांकुशा एकादशी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पूरे दिन उपवास रखें।